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प्रश्नों के प्रश्न - अहिंसा गांधीजी की

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भारत में पुनः आजादी १९४७ में आयी। पुनः इसलिए, क्यूंकि अंग्रेज़ो की गुलामी से पहले तो हम आजाद ही थे। तो १९४७ की आज़ादी पुनः शब्द के साथ ही ठीक रहेगा। हमसे ये भी कहा गया कि ये वाली आजादी चरखे से, अहिंसा से आयी। हम तो थे नहीं, इतिहासकारों ने जो बताया हमने मान लिया। क्यूंकि भारत में तब भी राजशाही ही थी, तो एक राजा के बाद दूसरे राजा की पराधीनता हम स्वीकार कर लेते थे। सो नए राजा, जो लोकतंत्र के छद्म रूप में थे, हमने स्वीकार कर लिया। गांधीजी लोकतंत्र में स्वयं भले विश्वास करते हों, उनके कु-भक्त बिल्कुल नहीं करते थे। और गांधीजी के कुभक्त गांधीजी के सिद्धांतों का अनादर अनवरत करते रहे। सुभाष चन्द्र बोस के कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने और त्यागपत्र दिए जाने की घटना कांग्रेस के लोकतंत्र को उजागर करती है। चुनाव होगा, उनका प्रत्याशी जीतेगा तभी वह वैध होगा। उनका यह कुचक्र आज भी अनवरत चलता जा रहा है। रही सही कसर वामपंथ ने पूरी कर दी। बामपंथ का शिक्षा पर प्रभाव रहा है। अपने इस प्रभाव को उन्होंने इतिहास को तोड़ने मड़ोड़ने के लिए प्रयोग किया है। इतिहास में एक वर्ग विशेष को बेहतर